Thursday, September 20, 2012

ज़िन्दा कौमें पांच साल इन्तज़ार नहीं करतीं।

सरकार ने पेट्रोल की कीमत पहले ही ७५ रुपए प्रति लीटर पहुंचा दी। रातों रात बिना किसी घोषणा के एक्स्ट्रा प्रीमियम पेट्रोल ६.७१ रुपए महंगा कर दिया गया। तेल कंपनियों की टेढ़ी नज़र डीज़ल और रसोई गैस पर थी, सो वह कमी भी पूरी कर दी गई। डीज़ल पर ५ रुपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस के सातवें सिलिन्डर पर ३७१ रुपए की एकमुश्त बढ़ोत्तरी सरकार की असंवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण है। सरकार की ओर से पूरे देश को बताया जा रहा है कि बढ़ते राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए मूल्यों में यह वृद्धि आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य थी। इससे बड़ा झूठ दूसरा हो ही नहीं सकता। बोफ़ोर्स घोटाला, २-जी घोटाला, कोलगेट घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, स्विस बैंक घोटालों पर लगातार झूठ बोलने के कारण सरकार को झूठ बोलने की आदत लग गई है। सच्चाई यह है कि हमारे सकल घरेलू उत्पाद के ६.९% के ऊंचे सतर पर भी राजकोषीय घाटा ५.२२ लाख करोड़ रुपया ही आएगा। पिछले वित्तीय वर्ष में इसी सरकार ने कारपोरेट खिलाड़ियों तथा धनी तबकों को पूरे ५.२८ लाख करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष रियायतें दी है। जो पहले से ही संपन्न हैं और देश की संपदा दोनों हाथों से लूट रहे हैं, उनपर यह भारी रकम यदि नहीं लुटाई गई होती, तो सरकारी खजाने पर राजकोषीय घाटे का कोई बोझ होता ही नहीं। लेकि धनी तबकों पर भारी राशि लुटाने के बाद हमारी केन्द्र सरकार अब राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए गरीबों और मध्यम वर्ग को जो भी थोड़ी बहुत सबसिडी हासिल थी, उसपर बेरहमी से कैंची चला रही है। जिन तेल कंपनियों के घाटे की बात कहकर डीज़ल और रसोई गैस की कीमतों में भयानक वृद्धि की गई है, क्या वे वाकई घाटे में हैं? सफ़ेद झूठ बोलते हुए इस असंवेदनशील सरकार को लज्जा भी नहीं आती। अपनी बैलेन्स शीट मे देश की विशालतम तेल तथा प्राकृतिक गैस कंपनी ओएनजीसी ने वर्ष २०११-१२ के लिए २५१२३ करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की घोषणा की है। इसी प्रकार इंडियन आयल कारपोरेशन ने वर्ष २०११-१२ में ४२६५.२७ करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की घोषणा की है। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने भी मुनाफ़े की घोषणा की है। दिलचस्प बात यह है कि इस कंपनी ने पिछले वर्ष की अन्तिम तिमाही में मुनाफ़े में ३१२% की वृद्धि दर्शाई थी। उपर लिखे गए आंकड़े कल्पना की उड़ान नहीं हैं। ये सभी आंकड़े सरकारी हैं और नेट पर उपलब्ध हैं। तेल कंपनियों ने भारी मुनाफ़ा कमाया है, भारी भ्रष्टाचार के बावजूद। तेल कंपनियों में प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार शामिल है। तेल खोजने के नाम पर कंपनियां असंख्य कुंए कागज़ पर खोदती हैं और पाट भी देती हैं। ठेकेदारों को भुगतान के बाद खुदाई और पाटने का कोई प्रमाण ही नहीं बचता। कोई सी.वी.सी. कैग या सी.बी.आई. इन घोटालों को नहीं पकड़ सकती। विदेशों से कच्चा तेल खरीदने में बिचौलियों की भूमिका बहुत बड़ी होती है। हजारों करोड़ के कमीशन की लेन-देन होती है। सरकार यदि इन भ्रष्टाचारों पर अंकुश लगा दे और उत्पाद शुल्क में ५०% तथा अन्य टैक्सों में २५% की कटौती कर दे, तो पेट्रोल २५ रुपए प्रति लीटर, डीज़ल १५ रुपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस का एक सिलिंडर १५० रुपए में प्राप्त होगा। देश की जनता के साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी की जा रही है।