Saturday, June 19, 2010
भोपाल गैस त्रासदी पर न्याय
आज चाहे भले ही सब लोग भोपाल के गैस पीड़ितों के लिए दर्द दिखा रहे हों लेकिन उनकी लड़ाई अग किसी ने ईमानदारी से लड़ी तो वे गैर सरकारी संगठन है जो इसके लिए बधाई के पात्र हैं। उन्हें साधुवाद कि इन गरीब और सीधे-सादे लोगों के साथ वे खड़े हुए और उन्होंने इनकी लड़ाई लड़ी जो कायदे से भारत सरकार को लड़नी चाहिए थी। विपक्ष तभी इस बारे में खामोश ही रहा, दुर्घटना के बाद आयी कई सरकारों ने भी शायद इसे उतनी गंभीरत से नहीं लिया जितना लिया जाना चाहिए था। अब अगर सब नींद से जाग गये हैं तो शायद यह उनकी मजबूरी है क्योंकि इस बड़ी त्रासदी से मुंह चुराना उन्हें महंगा पड़ा सकता है। इससे उनके जन समर्थन में फर्क पड़ सकता है जो शायद भविष्य में उनके सत्ता समीकणों को भी बदल सकता है। ऐसा कोई नहीं चाहेगा चाहे वह सत्ता पक्ष हो या प्रतिपक्ष। हम और हर देशवासी भी यही चाहता है कि जिन लोगों ने अंधाधुंध औद्योगिक विकास की कीमत अपनी जान देकर चुकायी है, या जो आज भी उस त्रासदी का दुख भोग रहे हैं, उन्हें न्याय मिले। ऐसी इच्छा गैरवाजिब तो नहीं। सत्ता पक्ष विपक्ष इस त्रासदी पर राजनीति खेलने के बजाय आपसी समझदारी से जितना बन पड़े पीडि़तों की मदद करे। इसमें ही देश और गैस त्रासदी का गम झेल रहे लोगों का भला है।
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